एक इन्द्रधनुष की कंघी
बालो
की लटो को संवारे हुए...
खुशबू की किनारी वाली
पंखुरी की साड़ी....
पलखो पे ज़िया
की एक फुहार .....
माथे पे
आफताबी शबनम
की एक बिंदी......
तुम एक उम्र जो
बेहाल दिखे
तो मुझे माफ़ करना....
कल ही सुना है मैंने
शुआओं को आईने
से कहते हुए
"मैं अक्स हूँ तुम्हारा"
-----आंच------
10 टिप्पणियां:
बहुत खूब अक्स ...
पलखो पे..... पलकों ..कर लें
:)
awwwwwwwwwww...........!!!
choooo chweet
kinne din baad, thank god aapne yahan likha....thank u
inne din se inne logon ko padha, bohot acche bhi the...par aapka jo ye flavor hai na, by god vo kisi mein nahin hai...ur just the best
pankhudi wali saari, indradhanush ki kanghi....killer......!!! tooooooooo sweet...mmuuaahhhhhhh
ispar to maine comment likha tha....kahan gaya.....??
koi baat nahin...once more...awwwwwwwwwwwwwesome....luv u
thanku aunty...
aatish :)
sanjhu love u too beta......
कल ही सुना है मैंने
शुआओं को आईने
से कहते हुए
"मैं अक्स हूँ तुम्हारा"
in one word"beautiful"
सुन्दर भाव...उत्तम रचना..बधाई.
'सप्तरंगी प्रेम' के लिए आपकी प्रेम आधारित रचनाओं का स्वागत है.
hindi.literature@yahoo.com पर मेल कर सकते हैं.
subhanallah!!!!!!!
कल ही सुना है मैंने
शुआओं को आईने
से कहते हुए
"मैं अक्स हूँ तुम्हारा"
बहुत खूबसूरत....इतने सुंदर अक्स पर फॉलो तो किया जा सकता है.....है न.....
आप भी जरूर आइए....
बहुत खूबसूरत|
होली पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ|
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