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शुक्रवार, 26 नवंबर 2010

aks

एक इन्द्रधनुष की कंघी
बालो
की लटो को संवारे हुए...
खुशबू की किनारी वाली
पंखुरी की साड़ी....
पलखो पे ज़िया
की एक फुहार .....
माथे पे
आफताबी शबनम
की एक बिंदी......

तुम एक उम्र जो
बेहाल दिखे
तो मुझे माफ़ करना....

कल ही सुना है मैंने
शुआओं को आईने
से कहते हुए
"मैं अक्स हूँ तुम्हारा"

-----आंच------

10 टिप्‍पणियां:

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

बहुत खूब अक्स ...

पलखो पे..... पलकों ..कर लें

स्वप्निल तिवारी ने कहा…

:)

बेनामी ने कहा…

awwwwwwwwwww...........!!!

choooo chweet

kinne din baad, thank god aapne yahan likha....thank u

inne din se inne logon ko padha, bohot acche bhi the...par aapka jo ye flavor hai na, by god vo kisi mein nahin hai...ur just the best

pankhudi wali saari, indradhanush ki kanghi....killer......!!! tooooooooo sweet...mmuuaahhhhhhh

बेनामी ने कहा…

ispar to maine comment likha tha....kahan gaya.....??

koi baat nahin...once more...awwwwwwwwwwwwwesome....luv u

aanch ने कहा…

thanku aunty...

aatish :)

sanjhu love u too beta......

डिम्पल मल्होत्रा ने कहा…

कल ही सुना है मैंने
शुआओं को आईने
से कहते हुए
"मैं अक्स हूँ तुम्हारा"
in one word"beautiful"

Akanksha Yadav ने कहा…

सुन्दर भाव...उत्तम रचना..बधाई.

'सप्तरंगी प्रेम' के लिए आपकी प्रेम आधारित रचनाओं का स्वागत है.
hindi.literature@yahoo.com पर मेल कर सकते हैं.

डॉ .अनुराग ने कहा…

subhanallah!!!!!!!

वीना श्रीवास्तव ने कहा…

कल ही सुना है मैंने
शुआओं को आईने
से कहते हुए
"मैं अक्स हूँ तुम्हारा"

बहुत खूबसूरत....इतने सुंदर अक्स पर फॉलो तो किया जा सकता है.....है न.....
आप भी जरूर आइए....

Patali-The-Village ने कहा…

बहुत खूबसूरत|
होली पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ|