एक इन्द्रधनुष की कंघी
बालो
की लटो को संवारे हुए...
खुशबू की किनारी वाली
पंखुरी की साड़ी....
पलखो पे ज़िया
की एक फुहार .....
माथे पे
आफताबी शबनम
की एक बिंदी......
तुम एक उम्र जो
बेहाल दिखे
तो मुझे माफ़ करना....
कल ही सुना है मैंने
शुआओं को आईने
से कहते हुए
"मैं अक्स हूँ तुम्हारा"
-----आंच------