पहली नज़्म बेमिसाल...दूसरी को सवाल बनाकर जवाब दिया है...पहली बार आया हूँ यहाँ...गुस्ताखी मुआफ़ः आवाज़ की रातो तले दबी बुदबुदाती आँखों से मैं ख़ामोशी चुरा लायी हूँ..... तुम कहो तो दो रोज़ को जुबां पे रख लूँ....
+++ ना ना ऐसा कभी नहीं करना ख़ामुशी में तेज़ाब होते हैं ऐसा कहना है वर्तिका का मगर मुझको इसपर तनिक नहीं है यकीन आँच तुमने जो सजा ली कभी ख़ामोशी अगर मैं तो आतिश में झुलस जाउँगा ख़मोशी के लफ्ज़ होठों पे जो सजते हैं तो बन जाते हैं इक आबेहयात नाम मेरा जो पुकारो तभी निजात मिले!!
5 टिप्पणियां:
:)
पहली नज़्म बेमिसाल...दूसरी को सवाल बनाकर जवाब दिया है...पहली बार आया हूँ यहाँ...गुस्ताखी मुआफ़ः
आवाज़ की रातो
तले दबी
बुदबुदाती आँखों से
मैं ख़ामोशी चुरा
लायी हूँ.....
तुम कहो तो
दो रोज़ को
जुबां पे रख लूँ....
+++
ना ना ऐसा कभी नहीं करना
ख़ामुशी में तेज़ाब होते हैं
ऐसा कहना है वर्तिका का मगर
मुझको इसपर तनिक नहीं है यकीन
आँच तुमने जो सजा ली कभी ख़ामोशी अगर
मैं तो आतिश में झुलस जाउँगा ख़मोशी के
लफ्ज़ होठों पे जो सजते हैं तो बन जाते हैं इक आबेहयात
नाम मेरा जो पुकारो तभी निजात मिले!!
wow!
dono hi behad khubsurat
come bac.....come bac.....come bac.....come bac......pleeeeeeeeze :)
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