tum kehte ho na
kaanch tut kar bhi
kaanch hi rah jaata hai
magar khwab kabhi nahi...
tum hi aake samjhao
isko,
meri aankhon ki
baahon me
toda hai dam jisne
yeh dil ab bhi
use khwab
kah raha hai.....
kaanch tut kar bhi
kaanch hi rah jaata hai
magar khwab kabhi nahi...
tum hi aake samjhao
isko,
meri aankhon ki
baahon me
toda hai dam jisne
yeh dil ab bhi
use khwab
kah raha hai.....
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तुम कहते हो ना
कांच टूट कर भी
कांच ही रह जाता है
मगर ख्वाब कभी नहीं....
तुम ही आके समझाओ
इसको,
मेरी आँखों की बाहों में
तोडा है
दम जिसने ..
यह दिल अब भी
उसे ख्वाब कह
रहा है.....
----आंच----
----aanch----
कांच टूट कर भी
कांच ही रह जाता है
मगर ख्वाब कभी नहीं....
तुम ही आके समझाओ
इसको,
मेरी आँखों की बाहों में
तोडा है
दम जिसने ..
यह दिल अब भी
उसे ख्वाब कह
रहा है.....
----आंच----
----aanch----
6 टिप्पणियां:
achcha waah....
http://dilkikalam-dileep.blogspot.com/
bahut khub
jabardast he
shekhar kumawat
http://kavyawani.blogspot.com/
umda hai
सुन्दर अभिव्यक्ति.
देवनागरी में लिखें तो पढ़ने में आसानी होगी.
आँखों की बाहें....बहुत सुन्दर ...
प्यारी नज़्म..कोमल भाव लिए हुए...'
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दिल के सुंदर एहसास
हमेशा की तरह आपकी रचना जानदार और शानदार है।
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